
भारत में मानसून: प्रभाव और विशेषताएँ
भारत में मानसून का आगमन जून के महीने में होता है, जो गर्मी के लंबे और तप्त दिनों के बाद राहत लेकर आता है। इस मौसम के दौरान, दक्षिण पश्चिमी हवाएँ अरब सागर से नमी लेकर आती हैं, जिससे भारी वर्षा होती है। मानसून का प्रभाव देश के विभिन्न भागों में भिन्न-भिन्न होता है। पश्चिमी घाट और पूर्वोत्तर की पहाड़ियाँ सबसे पहले इस बारिश का स्वागत करती हैं। इसके बाद, यह धीरे-धीरे उत्तर और मध्य भारत की ओर बढ़ती है। मानसून की यह यात्रा लगभग चार महीने तक चलती है।
इस मौसम के दौरान, भारत के अधिकांश क्षेत्रों में तापमान में गिरावट देखने को मिलती है। यह न केवल फसल उत्पादन के लिए लाभकारी है, बल्कि यह जल स्तर को बढ़ाने और जल संसाधनों को पुनः भरने में भी मदद करता है। मानसून के प्रभाव के चलते जलाशयों, नदियों और तालाबों का स्तर बढ़ जाता है, जिससे कृषि और घरेलू उपयोग के लिए पानी की उपलब्धता में सुधार होता है।
फसल उत्पादन पर मानसून का प्रभाव
भारतीय कृषि मानसून पर अत्यधिक निर्भर करती है। खरीफ की फसलें, जैसे धान, मक्का, और सोयाबीन, मानसून की बारिश पर निर्भर होती हैं। बारिश का समय और मात्रा फसल की गुणवत्ता और पैदावार को सीधे प्रभावित करते हैं। यदि मानसून समय पर आता है और पर्याप्त वर्षा होती है, तो फसलें अच्छी होती हैं, जिससे किसानों की आय में वृद्धि होती है। इसके विपरीत, यदि मानसून देर से आता है या बारिश कम होती है, तो फसल उत्पादन में कमी आ सकती है।
कई बार, अत्यधिक बारिश से जलभराव की समस्या भी उत्पन्न होती है, जिससे फसलों को नुकसान होता है। ऐसे में किसानों को समय-समय पर मौसम की जानकारी और पूर्वानुमान की आवश्यकता होती है, ताकि वे अपनी फसल सुरक्षा के लिए उपयुक्त कदम उठा सकें। कृषि वैज्ञानिक और मौसम विभाग किसानों को बारिश के मौसम के पैटर्न के बारे में जानकारी प्रदान करते हैं, जिससे वे अपनी खेती की योजना बना सकें।
मानसून की शुरुआत और समाप्ति के संकेत
मानसून की शुरुआत और समाप्ति के संकेत विभिन्न प्राकृतिक घटनाओं के माध्यम से मिलते हैं। मानसून की शुरुआत का पहला संकेत केरल के तट पर दिखाई देता है, जहाँ जून के पहले सप्ताह में वर्षा शुरू हो जाती है। इसके बाद, मानसून धीरे-धीरे देश के अन्य हिस्सों की ओर बढ़ता है।
मानसून की समाप्ति का समय भी उतना ही महत्वपूर्ण होता है। सितंबर के अंत तक, मानसून विदा लेने लगता है, और अक्टूबर की शुरुआत तक अधिकांश क्षेत्रों में मानसून समाप्त हो जाता है। इस समय, पश्चिमी विक्षोभ और उत्तरी भारत में हवाओं की दिशा बदलने लगती है, जो मानसून की समाप्ति का संकेत देती है। इस प्रकार, मानसून का चक्र पूरा होता है, जिससे अगली फसल चक्र की तैयारी के लिए समय मिलता है।
मानसून की शुरुआत और समाप्ति के समय की भविष्यवाणी करना मौसम विभाग के लिए एक चुनौतीपूर्ण कार्य होता है। यह जानकारी किसानों के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण होती है, ताकि वे समय पर अपनी फसल की बुवाई और कटाई कर सकें। इस प्रकार, मानसून न केवल जलवायु पर बल्कि भारत की संपूर्ण अर्थव्यवस्था पर भी महत्वपूर्ण प्रभाव डालता है।